Friday, February 15, 2013

सेदोका


पाया जो तुम्हें
उमंग बनी मेरी
खुशियों की बहार
गोद में लिया
ज्यों बेटे का शैशव
पुन: मिली सौग़ात।
            

देखा जो तुझे
मन गुदगुदाया
पाया बड़ा आन्नद
कस के तूने
अँगुली यूँ पकड़ी
ज्यों जन्मों का सम्बन्ध।

 
हर लेती है
तेरी मुसकान यूँ
मेरी सब पीड़ाएं
कैसा बंधन
दीर्घ आयु की प्यास
सहसा जागी जाए


भोली सी तेरी
मीठी प्यारी बातों में
भरा है कैसा जादू
अनेकों ग़म
तेरी हँसी दे मेट
तू अनुपम भेंट।


तू नटखट
शैतान बड़ा पर
मेरी आँख का तारा
निज बेटे से
बढ़ कर लगे तू
रिश्ता है कैसा न्यारा।
 

ना हरि सेवा
नित नेम प्रभु का
कैसे मोह में पड़ी
चित्त सुझावे
इसकी सेवा में ही
हरि भी मिल जाएं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

2 comments:

  1. बहुत सुंदर कृष्णा जी!

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुमन जी।
      सादर

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