Wednesday, August 28, 2013

श्री कृष्ण जन्माष्टमी ताँका


श्याम सलोने
आनन छवि ढाँपे
कुंतल मेघ
दरस को तरसें
ग्वाल गोपियाँ देख।

 
वंशीधर
श्याम निठुर तुम
क्यूँ कर भूले
तट पे राधा रोए
प्रतीक्षा में अकेले।

 
नंद किशोर
श्याम चित्तचोर क्यूँ
जिया चुराया
राधा भई दीवानी
निज होश गँवाया।

 
पीताम्बर
चोर लिया रे चित्त
हुई दीवानी
करें नैन चपल
मन में हलचल।

 
घूँघर केश
कुँड़ल किरीट सा
मुख पे सोहे
श्याम बजाए वंशी
राधा सुध खोए।

 
रास रचाए
गोपियाँ संग कन्हा
ज्यों बाल खेलें
निर्लिप्त निर्विकार
निज प्रतिबिंब से।

 
कैसी बाँवरी
साँवरे की बाँसुरी
नेह लगाया
होंठो से लगाने को
सीना भी छिदवाया।

 

Thursday, August 22, 2013

आँसू


छिपती ना भीतर की पीड़ा

आँसू चुगली खोर

झट कोरों पे आन बैठते

मौन मचाएं शोर

बड़े सहोदर मन भावों के

पकड़े रखते डोर

व्यथा ह्रदय की लाख छिपाऊँ

पकड़ा देते छोर

हर दुख-सुख में पिघल पड़ें

दिल के हैं कमज़ोर

जन्म के पहले पल के साथी

नयन गाँव ही ठौर

दुख संताप दगा दें जब अपने

फिर धरें रूप कठोर

अंतरमन के घावों पे, करते

चुपचाप टकोर

यूँ तो जीवन यात्रा में मिले

मित्र कई बेजोड़

दिल पे पक्की यारी की बस

यही लगाएं मोहर।

अंत समय तक साथ ना छोड़ें

इन सा मित्र ना और।