श्याम सलोने
आनन छवि ढाँपेकुंतल मेघ
दरस को तरसें
ग्वाल गोपियाँ देख।
श्याम निठुर तुम
क्यूँ कर भूले
तट पे राधा रोए
प्रतीक्षा में अकेले।
नंद किशोर
श्याम चित्तचोर क्यूँजिया चुराया
राधा भई दीवानी
निज होश गँवाया।
ओ पीताम्बर
चोर लिया रे चित्तहुई दीवानी
करें नैन चपल
मन में हलचल।
घूँघर केश
कुँड़ल किरीट सामुख पे सोहे
श्याम बजाए वंशी
औ राधा सुध खोए।
रास रचाए
गोपियाँ संग कन्हाज्यों बाल खेलें
निर्लिप्त निर्विकार
निज प्रतिबिंब से।
कैसी बाँवरी
साँवरे की बाँसुरीनेह लगाया
होंठो से लगाने को
सीना भी छिदवाया।