कृष्णा वर्मा - हिन्दी राइटर्स गिल्ड
Friday, January 18, 2013
मेरे कुछ माहिया
मुनियों
का
देश
रहा
नारी
मुक्त
कहाँ
जीवन
भर
दर्द
सहा
खुद
को
जो
समझाते
हर
इक
दूजे
को
दोषी
ना
ठहराते
बेटी
अपनी
होती
यूँही
सत्ता
फिर
क्या
बेफिकर
सोती
बेटी
सब
की
साँझी
नैया
ना
डूबे
सब
बन
जाओ
माझी
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