Thursday, February 28, 2013

हिमपात सेदोका


सहती धरा
महावट दुश्वारी
तो खिले फुलवारी
मही जानती
यदि सहा ना कष्ट
मच जाएगी त्राही।

 
पतझड़ से
तरू और लताएं
वस्त्रहीन हो जाएं
शीत ऋतु आ
चांदी से चमकते
हिम वस्त्र ओढ़ाए।

 
ओढ़े हिम की
विश्वा जब चादर
लगे स्वर्ग की हूर
तन चमके
चांदी सा चम-चम
सूरि छिटके नूर।

छिप गए क्यूँ
भयभीत शीत से
नभद्वीप की ओट
ओ विवस्वान
तुम्हारा उजास ही
है जगती का प्राण।

 
कैसे अजब
कुदरत के रंग
हिम भी दे उजास
हिम गिरती
रजनी यूँ दमके
स्वर्ग का हो आभास।

 

Wednesday, February 27, 2013

माहिया वसंत


मौसम ने रुख बदला
मन उड़ लिपट गया
उन यादों से पगला।

 
डाली लद लचकी है
भौरे दीवाने
कलियाँ जो चटकी हैं

 
ऋतु करवट बदल रही
बाग-बगीचों की
तकदीरें पलट रही।

 
पेड़ों पर हरियाली
झूम उठी शाखें
चिड़ियाँ हैं मतवाली।

 
पेड़ों पर नूर खिले
लाज-भरी लतिका
हँस-हँस के कण्ठ मिले।

 
मौसम जो सौदाई
मीठी चुभन हुई
आँखियाँ भर-भर आई।

 
दीवानी पवन बही
मन ने मन से जा
गुप-चुप हर बात कही।

 
मौसम मनमीत हुआ
लौ की तारों ने
दिल को जब आन छुआ।

 

 

Friday, February 15, 2013

सेदोका


पाया जो तुम्हें
उमंग बनी मेरी
खुशियों की बहार
गोद में लिया
ज्यों बेटे का शैशव
पुन: मिली सौग़ात।
            

देखा जो तुझे
मन गुदगुदाया
पाया बड़ा आन्नद
कस के तूने
अँगुली यूँ पकड़ी
ज्यों जन्मों का सम्बन्ध।

 
हर लेती है
तेरी मुसकान यूँ
मेरी सब पीड़ाएं
कैसा बंधन
दीर्घ आयु की प्यास
सहसा जागी जाए


भोली सी तेरी
मीठी प्यारी बातों में
भरा है कैसा जादू
अनेकों ग़म
तेरी हँसी दे मेट
तू अनुपम भेंट।


तू नटखट
शैतान बड़ा पर
मेरी आँख का तारा
निज बेटे से
बढ़ कर लगे तू
रिश्ता है कैसा न्यारा।
 

ना हरि सेवा
नित नेम प्रभु का
कैसे मोह में पड़ी
चित्त सुझावे
इसकी सेवा में ही
हरि भी मिल जाएं।