Saturday, July 2, 2011

चिंता (Chintaa)

कहते हैं लोग कोई साथ नहीं निभाता
चिंता से पूछो कैसे नाता निभाया जाता
यह तो इक परछाई है कब अलग किसी से रह पाई है
विरला ही होगा जिसे इसने नहीं घेरा
सबको एक निगाह से देखे ना कोई तेरा-मेरा
देश बदलो चाहे प्रांत, चहल-पहल हो या एकांत
कितना भी दामन छुडाओ कब रहने दे यह शांत
सदा प्रतीक्षा में खड़ी पंथ निहारे
बिना हथियार ही बड़ी चोट मारे
रंग ना आकार ना इससे किसी को प्यार
बर्बस चिपटी रहे ज्यों चंदन लिपटे सांप
इससे जान छुड़ाने को किए सात समुंद्र पार
बिना टिकट वीज़ा बिना आ पहुँची मेरे द्वार
मुझे खुश देख हुई बहुत हैरान
आ बोली मेरे कान
अजी हमसे बचकर कहाँ जाइएगा
जहाँ जाइएगा वहीं पाइएगा
देखकर उसको यहाँ भी
रह गई मैं भौचक्की
विनम्रता का दामन ओढ़ा
बहुत हाथ-पैर जोड़ा
वह तो आदत से मजबूर
उसने कब पीछा छोड़ा
मुस्कुरा कर बोली
कभी तेरा दामन ना छोडेंगे हम
कसम चाहे लेलो खुदा की कसम
तुम हमसे दूर रहो यह नहीं आता रास
मेरा तुम्हारा तो चोली-दामन का साथ
चिंता को छोदो जो तुम्हें उपदेश सुनाते हैं
वह भी लुक-छिप कर
दिन-रात मुझको ही ध्याते हैं
मेरा तो सब से बड़ा अजब है नाता
मर कर ही मुझसे कोई छूट पाता!

Ma

माँ

माँ असीम अन्नत माँ स्वरूप भगवंत
ममता का स्त्रोत कोई ओर-छोर ना अंत
माँ महीन एहसास अडि़ग विश्वास अविरल अनुराग
जाड़े की नरम धूप गरमी की बरसात
माँ पुष्पों कि महक सोंधी ब्यार
तपते मन पर सावन की फुहार
माँ पहली पाठशाला संस्कारों की वर्णमाला
गुरुओं का गुरु जीवन का शुरु
जीने की कला जीवन गणित की कुंजी
माँ बच्चों की असीम पूंजी
माँ मन को पढ़ने का यंत्र
चिंता दूर करने का मंत्र
माँ एक ऎसा घोंसला
जिसमें चट्टान सा होंसला
माँ दया करुणा उदारता
जिसका आशीष जीवन संवारता
माँ साहस सहिष्णुता समर्पण
जीवन का सच्चा दर्पण
माँ ऎसा आधार जिसमें ना पड़े दरार
परिवारों का सगंम रिश्तों की गहराई
नयनों की ज्योती रक्त की गरमाई
हर रिश्ता झूठा सब रिश्ते बहरूप
केवल सच्चा माँ का रिश्ता माँ ईश्वर का रुप
आत्मा की गहराईयों से करती है प्यार
नींदों से उठ-उठ करे दुवाओं की बौछार
दिल के टुकड़ों की खा़तिर रब से भी लड़े कई बार
माँ का कोई पर्याय नहीं माँ तो दैवी शक्ति है
तभी तो इक मांस के टुकड़े को इंसान बना देती है।