Wednesday, February 27, 2013

माहिया वसंत


मौसम ने रुख बदला
मन उड़ लिपट गया
उन यादों से पगला।

 
डाली लद लचकी है
भौरे दीवाने
कलियाँ जो चटकी हैं

 
ऋतु करवट बदल रही
बाग-बगीचों की
तकदीरें पलट रही।

 
पेड़ों पर हरियाली
झूम उठी शाखें
चिड़ियाँ हैं मतवाली।

 
पेड़ों पर नूर खिले
लाज-भरी लतिका
हँस-हँस के कण्ठ मिले।

 
मौसम जो सौदाई
मीठी चुभन हुई
आँखियाँ भर-भर आई।

 
दीवानी पवन बही
मन ने मन से जा
गुप-चुप हर बात कही।

 
मौसम मनमीत हुआ
लौ की तारों ने
दिल को जब आन छुआ।

 

 

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