मौसम ने रुख बदला
मन उड़ लिपट गयाउन यादों से पगला।
भौरे दीवाने
कलियाँ जो चटकी हैं
बाग-बगीचों की
तकदीरें पलट रही।
झूम उठी शाखें
चिड़ियाँ हैं मतवाली।
पेड़ों पर नूर खिले
लाज-भरी लतिकाहँस-हँस के कण्ठ मिले।
मौसम जो सौदाई
मीठी चुभन हुईआँखियाँ भर-भर आई।
दीवानी पवन बही
मन ने मन से जागुप-चुप हर बात कही।
मौसम मनमीत हुआ
लौ की तारों नेदिल को जब आन छुआ।
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