Saturday, March 16, 2013

सेदोका बेटी


सुन बिटिया
बेदर्द जगत में
भरे हुए शैतान
फूँक-२ कर
कदम उठाना, तूँ
लुटे नहीं सम्मान।

 
बेटियाँ तो हैं
प्यार का बेमिसाल
बेहिसाब खज़ाना
अभागी कब
जानें मिला कीमती
हर्ष का तोशाख़ाना।

 
घर अँगना
तज मात-पिता का
घर औरों का जोड़े
दुख संताप
ढोए सब हँस के
पत बाबा की ओढ़े।

 
कुदरत का
अनमोल करिश्मा
तेरी गूढ़ कहानी
रब का रूप
सृजन का आधार
बेटी नहीं निमानी।

 
मंदमति ही
चाहें बेटा, बेटी का
मोल जान ना पाए
बेटा केवल
बँटवाता सम्पत्ति
बेटी दुख बँटाए।


मैं तो बेटी हूँ
माँ की आँख का पानी
बाबा की नन्हीं रानी
दीए सी जलूँ
पीहर में परायी
सासरे में बेगानी।

 

 

 

 

 

Tuesday, March 12, 2013

रिश्ते


रिश्ते जु़ड़ते
भावना तंतुओं से
अदृष्य होती
प्रीत बंध की डोरी
जुड़े, जाए ना तोड़ी
टूट जाएं तो दिल में
ऐसा करें आघात
पल भर में
ऐसी हो दूरी ज्यों
नदिया के पाट
स्वार्थ कीट
जब पले ह्रदय में
कुतरे कोमल संबंध
जीवन में जब होश फिरे
तब तक उड़ जाती
रिश्तों से मृदु गंध
पल-पल टीस उठे ह्रदय में
भीतर को झकझोरे
कितना भी प्रयास करें
किरचें ना जुड़ें फिर जोड़े
खंडित रिश्तों से जब-तब
ऐसा रिसे मवाद
सड़-सड़ कर नासूर बनें
प्राणों को करे हताश
प्रीत पगे जल से
रिश्तों का
भरते रहो उदंचन
मिटे विषाद
मिले अपनों का
तुमको नित भुज-बंधन
रिश्ते महक रहेंगे ऐसे
ज्यों महके वन चंदन।