Tuesday, December 24, 2013

हाइकु तुषार


कुदरत का आलौकिक नजारा

 
क्या हिम वृष्टि
कायनात दमकी
चकित दृष्टि

 
चमका सूर्य
हीरों जड़ी शाखाएं
झलके नूर

 
हिम यूँ झड़ी
शाख-शाख लिपटी
माणिक लड़ी

 
हिम क्या आई
दिन के उजाले में
चाँदनी छाई

 
तुषाराघात
आलौकिक कमाल
रात में प्रात:

 
कंचन काया
हिम आभूषणों ने
वन सजाया

 
बत्तियाँ जलीं
तुषार के होठों पे
हँसी खिली

 
बर्फीली आँधी
नग्न खड़े पेड़ों के
प्राण ले मानी

 

 

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