कुदरत का आलौकिक नजारा
क्या हिम वृष्टि
कायनात दमकीचकित दृष्टि ।
हीरों जड़ी शाखाएं
झलके नूर ।
शाख-शाख लिपटी
माणिक लड़ी ।
दिन के उजाले में
चाँदनी छाई ।
आलौकिक कमाल
रात में प्रात: ।
हिम आभूषणों ने
वन सजाया ।
तुषार के होठों पे
हँसी आ खिली ।
नग्न खड़े पेड़ों के
प्राण ले मानी ।
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