Tuesday, January 1, 2013

नव वर्ष हाइकु


भोर सिंदूरी
नव वर्ष के माथे
तिलक करे।

नव वर्ष का
शुभ स्वागत करें
साधु भाव से।

अवनी तल
फैले ज्ञान आलोक
नए वर्ष में।

खिलें कुसुम
आशा उपवन के
निरपराध।

प्रेम का दीप
जले हर आँगन
मिटे विषाद।

पूर्ण हों सभी
अतृप्त कामनाएं
सद्भावनाएं।

सुख समृद्धि
जगती के आँचल
खेले सम्मोद।
 
सर्व सृष्टि में
ध्वस्त करो कलुष
औ भ्रष्टाचार।

मन अँगना
खुशियाँ चहके ज्यों
पाहुन आए।

नूतन वर्ष
पावन उत्सव सा
उतरे द्वार।

 


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