Tuesday, March 12, 2013

रिश्ते


रिश्ते जु़ड़ते
भावना तंतुओं से
अदृष्य होती
प्रीत बंध की डोरी
जुड़े, जाए ना तोड़ी
टूट जाएं तो दिल में
ऐसा करें आघात
पल भर में
ऐसी हो दूरी ज्यों
नदिया के पाट
स्वार्थ कीट
जब पले ह्रदय में
कुतरे कोमल संबंध
जीवन में जब होश फिरे
तब तक उड़ जाती
रिश्तों से मृदु गंध
पल-पल टीस उठे ह्रदय में
भीतर को झकझोरे
कितना भी प्रयास करें
किरचें ना जुड़ें फिर जोड़े
खंडित रिश्तों से जब-तब
ऐसा रिसे मवाद
सड़-सड़ कर नासूर बनें
प्राणों को करे हताश
प्रीत पगे जल से
रिश्तों का
भरते रहो उदंचन
मिटे विषाद
मिले अपनों का
तुमको नित भुज-बंधन
रिश्ते महक रहेंगे ऐसे
ज्यों महके वन चंदन।

 

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